बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी ने कोरोना की दवा को लेकर जो दावा किया। उसको लेकर निम्स विश्वविद्यालय के चेयरमैन अपने बयान से पलट गए हैं।
निम्स विश्वविद्यालय के चेयरमैन बीएस तोमर ने कहा कि हमने अपने अस्पताल में किसी भी कोरोना दवा का क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया है। हमने सिर्फ यूनिटी बढ़ाने की दवा दी। जिसमें अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी था। मैं नहीं जानता कि बाबा रामदेव ने कैसे इस दवा को कोरोना का इलाज के लिए बेहतर बताया है।
जानकारी के लिए बता दें कि निम्स विश्वविद्यालय ने सीटीआर से औषधियों के यूनिटी टेस्टिंग के लिए इलाज किए थे। जो 23 मई को ट्रायल शुरू किया था और 23 जून को योग गुरु रामदेव बाबा ने 1 महीने के अंदर ही लोगों के सामने दवा पेश कर दिया।
वहीं यूनिवर्सिटी के चेयरमैन ने कहा कि हमारी फाइंडिंग अभी 2 दिन पहले ही आई थी । मगर योग गुरु बाबा रामदेव ने दवा कैसे बनाएं वही बात सकते हैं उसके बारे में, मैं कुछ नहीं जानता।
वहीं दूसरी तरफ आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की दवा ककोरोनिल पर रोक लगा दी है और वहीं उत्तर प्रदेश में रामदेव बाबा की कंपनी पर एफआईआर की गई है। पतंजलि कंपनी की तरफ से दावा किया गया है कि कोरोना से गंभीर पीड़ित मरीजों पर इस दवा का टेस्ट नहीं किया गया है। कम लक्षण वाले मरीजों पर टेस्ट किया गया था। जिसमें यह कारगर साबित हुई।
वहीं दूसरी तरफ राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार ने पतंजलि की कोरोनिल दवा को रोक लगा दी है। तो वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि को नोटिस भेजा है। जिसमें उत्तराखंड सरकार ने पूछा है कि आखिर दवा को जारी करने की इजाजत किसने दी है।